Main menu
"पंडित मुकेश भारद्वाज" भारतीय वैदिक ज्योतिष शास्त्र और भारतीय वैदिक वास्तुशास्त्र के विश्व विख्यात विद्वान हैं | ज्योतिष और वास्तु के क्षेत्र में इनको राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अनेकों पुरस्कार और सम्मान मिलते रहे हैं | भारतीय आध्यात्म, ज्योतिष और वास्तु को इन्होंने अंतर्राष्ट्रीय ऊंचाइयों तक पहुँचाने में बहुमूल्य योगदान दिया है | भारतीय वैदिक ज्योतिष की सभी विद्याओं रत्न शास्त्र, शारीर अंग लक्षण, सामुद्र शास्त्र, अंक शास्त्र, हस्तरेखा ज्ञान आदि सभी ज्योतिषीय के आलावा टैरो कार्ड रीडिंग, फंगशुई आदि पर किए गए इनके शोध बेहद अनुकरणीय हैं | आगे निरंतर
पंडित मुकेश भारद्वाज फेसबुक पर
सौर परिवार में मानव सभ्यता का विस्तार सिर्फ पृथ्वी पर ही हुआ; इसीलिए पृथ्वी को ही आधार मानकर सौर परिवार की स्थितियों का आंकलन किया गया। इसी स्थानीय स्थिति का मानव जीवन पर जो प्रभाव देखने को मिलता है, इस गणना को फलित ज्योतिष कहा जाता है।...भारतीय वैदिक ज्योतिष का इतिहास विश्व में सबसे ज्यादा प्राचीन है। वेद मानव इतिहास के सबसे प्राचीन लिखित ग्रंथ हैं जो कि यह प्रमाणित करते हैं कि भारत की ज्ञान परम्परा और उसका इतिहास सबसे अधिक प्राचीन हैं।
आगे निरंतर
ग्रहों की आभा जब रत्नों से पार होकर शरीर के अंगों में प्रवेश करती है तो इन ग्रहों का प्रभाव शरीर को अधिक तीव्रता के साथ प्रभावित करता है। रत्नों से गुजरकर आई ग्रहों की ये आभा ग्रहों, रत्नों और शरीर की प्रकृति के अनुसार हमारे हार्मोन्स को प्रभावित करती हैंं। रत्न हमारी सोचने -
वास्तुशास्त्र ना सिर्फ पंचमहाभूतों के ज्ञान से जुड़ा है बल्कि पूर्णतया वैज्ञानिक तथ्यों को भी अपने अन्दर समाहित किया हुआ है। वास्तुशास्त्र पृथ्वि की घूर्णन गति से उत्पन्न ऊर्जा का मनुष्य जीवन में किस तरह बेहतर उपयोग किया जा सकता है यह सिद्धान्त तय करता है। विद्युत चुम्बकीय प्रवाह का मनुष्य के लिए श्रेष्ठतम प्रयोग कैसे किया जा सकता हैयह सिद्धान्त तय करता है। इन अदृश्य शक्तियों के साथ ही प्राकृतिक रूप से ईश्वर प्रदत्त अमृत तुल्य वायु व प्रकाश का मनुष्य जीवन के लिए श्रेष्ठतम उपयोग भी वास्तुशास्त्र के सिद्धान्तों में स्पष्ट रूप से किया गया है।
आगे निरंतर
यंत्र भारतीय ज्योतिष का अभिन्न अंग हैं। ये वो शक्तिपुंज हैं जिनसे सकारात्मक ऊर्जा पायी जा सकती है। यंत्रों पर बने चिन्ह ईश्वरीय शक्तियों के परिचायक होते हैं, इनके साथ जब विशिष्ट मंत्रों के उच्चारण के साथ ईश्वर से प्रार्थना की जाती है। इन यंत्रों और मंत्रों की स्वर लहरियों के प्रयोग से ईश्वर प्रसन्न होते हैं और फलस्वरूप इच्छित फल की प्राप्ति होती है ।
यंत्रों पर विभिन्न आकृतियाँ, अंक और चित्र अंकित होते हैं। हर चित्र, अंक और आकृति का अपना महत्व है। हर आकृति अलग अलग भावों का प्रतिनिधित्व करती है।
आगे निरंतर
शरीर विज्ञानियों के अनुसार मनुष्य के हाथों में तंत्रिकाओं का सबसे उन्नत जाल होता है, इसइसीलिए जिस स्पर्श को किसी भी और अंग की त्वचा स्पर्श से महसूस नहीं कर पाती वो स्पर्श भी हथेली की अंगुलियों के पोरों द्वारा जान ली जाती है। यहां तक कि शरीर के अन्दर बह रहे रक्त की हरकत को भी अंगुलियों के पोरों के स्पर्श द्वारा जाना जा सकता है। यह स्पर्श शरीर के किसी भी और अंग के द्वारा संभव नहीं हो सकता है। प्रकार हाथ की चैतन्यता का स्तर अन्य शारीर अंगो की अपेक्षा सबसे उन्नत है। हथेली की त्वचा अन्य अंगों की त्वचा से अलग होती है। और इस त्वचा में कोई भी बदलाव मनुष्य की तंत्रिकातंत्र से संचालित होता है..आगे निरंतर